- by Prashantसत्यं च स्वाध्यायप्रवचने च। प्रकृति के सानिध्य में रहकर उसके साथ एकत्व का अनुभव करना, स्वाध्याय का प्रथम सूत्र है, जो हमें ब्रह्मांड के निर्माण और उसके रहस्यों को जानने की प्रेरणा देता है। जड़-चेतन धारणाओं से जुड़ी मूलकण, वंशसूत्र, गुणसूत्र जैसी सूक्ष्मतम चीज़ों के अध्ययन से लेकर ब्रह्मांड के विस्तार के अध्ययन तक का […]
- by Prashantऋतं च स्वाध्यायप्रवचने च। कुछ वर्ष पहले, मार्च माह में प्रशिक्षण के लिए उत्तर प्रदेश के बलिया क्षेत्र की यात्रा पर जाना हुआ। पहले दिन, शाम के समय भुसावल क्षेत्र से गुजरते हुए जब खिड़की से बाहर देखा, तो खेतों में एक पंक्ति में केसरिया रंग की ज्वालाओं से रौशन दृश्य दिखाई दिया। गेहूँ की […]
- by PrashantShri Vidyalakshmi Since childhood, I've often heard and read of Lakshmi as the goddess of wealth and Saraswati as the goddess of knowledge ….. It is said that Saraswati and Lakshmi rarely dwell together !…. where Saraswati resides, Lakshmi is seldom present!! A few days ago, I stayed at the guest house of Dwarka Doss […]
- by Prashantश्री विद्यालक्ष्मी लहानपणापासून अनेकदा ऐकत; वाचत आलो आहे, लक्ष्मी ही धनाची देवता आणि सरस्वती ही विद्येची देवता ! सरस्वती आणि लक्ष्मी एकत्र नांदत नाहीत !!……… जेथे सरस्वती असते तेथे लक्ष्मीचा निवास क्वचितच असतो !!!………. काही दिवसांपूर्वी चेन्नईच्या द्वारकादास गोवर्धनदास वैष्णव कॉलेजमध्ये अतिथी निवासात मुक्कामी होतो. सकाळी महाविद्यालाच्या आवारात फिरायला गेलो असताना एक पंचायतन : ‘ श्री […]
- by PrashantEmbracing Sankalpa Shakti: The Timeless Spirit of Bhagiratha Last week, I was in Chennai for an orientation program organized by Jnana Prabodhini on how to conduct the Varsharambha Upasana Ceremony, marking the beginning of the new session by observing Sankalpa Din (Resolution Day). This ceremony, initiated by Jnana Prabodhini, serves as a modern-day Sanskar ceremony […]